आटो-विक्रम पर उत्तराखंड में जारी घमासान, कमर्शियल गाड़ियों पर हल नहीं आसान

उत्तराखंड में कमर्शियल गाड़ियों पर घमासान जारी है। आटोमेटिक फिटनेस सिस्टम और 10 साल पुराने डीजल चलित आटो-विक्रम को सड़कों से बाहर करने के फैसले के खिलाफ परिवहन कारोबारियों ने प्रदेशभर में प्रदर्शन किया। पुतले जलाते हुए कारोबारियों पर परिवहन विभाग पर मनमाने फैसले थोपने का आरोप भी लगाया।

कहा कि यदि सरकार ने जल्द ही उचित कार्यवाही न की तो आंदोलन को उग्र रूप दिया जा सकता है। देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, रुड़की, विकासनगर समेत कई जगह पैदल मार्च करते हुए कारोबारियों ने पुतले जलाते हुए प्रदर्शन किए। आटो विक्रम महासंघ के अध्यक्ष महंत विनय सारस्वत ने कहा कि 29 नवंबर को विधानसभा घिराव के दिन सरकार ने उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया था।

लेकिन अब तक वो उचित कार्यवाही होती नहीं दिखाई दे रही। छोटे तिपहिया वाहनों से प्रदेश के हजारों लोगों को रोजगार जुड़ा है। सरकार उसे खत्म करना चाहती है। इसे कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। दून महानगर सिटी बस महासंघ के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने कहा कि आधी अधूरी तैयारियों के साथ आटोमेटिक फिटनेस व्यवस्था लागू की गई है।

केंद्र सरकार के मानक के अनुसार 31 मार्च 2023 के बाद इसे लागू होना है, लेकिन अधिकारियों ने इसे अभी से थोप दिया। यदि अनिवार्य ही है तो परिवहन कारोबारियों की सहुलितय के लिए हर जिले में कम से कम दो दो सेंटर बनने चाहिए थे। गढ़वा मंडल में डोईवाला और कुमाऊं मंडल में रुद्रपुर में फिटनेस सेंटर बनाने भर से काम नहीं चलने वाला।

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