सीमांत चमोली जिले का जोशीमठ नगर सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। चीन सीमा से लगी नीती और माणा घाटी के लिए सेना की समस्त गतिविधियों का संचालन यहीं से होता है। इसके लिए यहां सेना का बेस कैंप और हेलीपैड भी है। अभी सेना का हेलीपैड और इसके आसपास का हिस्सा भूधंसाव से पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन हेलीपैड से करीब 200 मीटर नीचे की तरफ ज्योतिर्मठ व इसके आसपास के अलावा जोशीमठ के मुख्य बाजार में दरारें लगातार बढ़ रही हैं। इससे आने वाले दिनों में भूधंसाव की आंच सेना के हेलीपैड तक पहुंचने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता, जो सेना और देश की सुरक्षा की दृष्टि से भी चिंताजनक है।
भारत-चीन के बीच 345 किमी लंबी सीमा उत्तराखंड से सटी है। इसमें से 100 किमी हिस्सा चमोली जिले में आता है। जोशीमठ चमोली जिले का अंतिम सीमांत नगर है। चीन सीमा पर स्थित नीती घाटी के अंतिम गांव नीती की दूरी यहां से 76 किलोमीटर है, जबकि नीती से नीती पास लगभग 45 किलोमीटर दूर है। इसी तरह माणा घाटी का अंतिम गांव माणा जोशीमठ से 47 किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि माणा से माणा पास की दूरी लगभग 52 किलोमीटर है।
इसीलिए वर्ष 1960 के बाद जोशीमठ सेना के बेस कैंप के रूप में तेजी से विकसित होना शुरू हुआ। वर्तमान में यहां सेना का बेस कैंप टीजीपी बैंड से रविग्राम और डांडो तक करीब तीन किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इसमें हर समय 10 हजार से अधिक सैनिक और अधिकारी मौजूद रहते हैं।
डांडो में ही सेना का हेलीपैड है। यहां हवाई मार्ग से आने वाला सेना का सारा साजो-सामान इसी हेलीपैड पर उतरता है। यहां से चीन सीमा के लिए उड़ान भरने का एकमात्र माध्यम भी यही हेलीपैड है। इस हेलीपैड से करीब 200 मीटर नीचे स्थित ज्योतिर्मठ में पहले ही दरारें आ चुकी हैं।
अब ज्योतिर्मठ से कुछ दूरी पर एक तीन मंजिला भवन भी दरारों के चलते खाली कराया गया है। भवन में एक राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा का भी संचालन हो रहा था, जिसे शिफ्ट कर दिया गया है। भवन में नई दरारें आने के साथ पुरानी दरारें तेजी से चौड़ी हो रही हैं।
भूधंसाव के कारण भवन एक ओर झुक भी रहा है। इसको देखते हुए गुरुवार को भवन को असुरक्षित घोषित कर इस पर लाल निशान लगाया जा सकता है। भवन के आसपास भी तेजी से भूधंसाव हो रहा है। जिला प्रशासन ने भूधंसाव के कारण असुरक्षित हो चुके भवनों को तोड़ने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।