जहां एक ओर देहरादून के उच्च शिक्षा संस्थान हजारों रुपये प्रति सेमेस्टर फीस लेकर युवाओं को बीबीए, बीसीए, बीएससी-आइटी, एमएससी की पढ़ाई करवा रहे हैं, वहीं दून स्थित कंबाइंड पीजी इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइसेज एंड रिसर्च और उत्तरांचल इंस्टीटयूट आफ हास्पिटैलिटी मैनेजमेंट एंड टूरिज्म गरीब, निर्धन, कोरोनाकाल में अपने स्वजन को खोने वाले विद्यार्थियों को बिना ट्यूशन फीस लिए पढ़ रहा है।
बच्चों को लगभग निश्शुल्क उच्च शिक्षा दे रहे
जरूरतमंद 146 विद्यार्थियों के लिए संस्थान के निदेशक एडवोकेट ललित मोहन जोशी सच्चे मायने में उनके अभिभावक बनकर पुनीत कार्य कर रहे हैं। संस्थान के निदेशक शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत गरीब बच्चों को लगभग निश्शुल्क उच्च शिक्षा दे रहे हैं। साथ ही पिछले एक दशक ने नशा निवारण अभियान चलाकर युवाओं को नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
ललित मोहन बताते हैं कि संस्थान में तीन सौ से अधिक विद्यार्थी हैं। जिनमें 146 जरूरमतमंद हैं। उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों, आपदा पीड़ित छात्र-छात्राओं, कोविड महामारी में अनाथ हुए बच्चों, लोक कलाकार एवं रंग कर्मियों, देश के लिए बलिदान हुए जवानों के बच्चों को उन्होंने लगभग निश्शुल्क उच्च शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि दून के कुंआवाला में उनके दो संस्थान एक कैंपस में हैं।
कंबाइंड पीजी इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइसेज एंड रिसर्च (सीआइएमएस) व उत्तरांचल इंस्टीटयूट आफ हास्पिटैलिटी मैनेजमेंट एंड टूरिज्म (यूआइएचएमटी) में 20 पाठ्यक्रम दो से चार वर्ष के डिग्री कोर्स हैं।
जबकि छह डिप्लोमा कोर्स एक से डेढ़ वर्ष तक के हैं। डिग्री कोर्स में दाखिला लेने वाले गरीब छात्रों से केवल पंजीकरण फीस व यूनिफार्म फीस के रूप में प्रतिवर्ष 11 हजार पांच सौ रुपये लिए जाते हैं। बाकी सालभर कोई फीस नहीं ली जाती है। जबकि अन्य संस्थानों में इन कोर्स की प्रति वर्ष फीस 70 से 90 हजार रुपये है।
इन श्रेणियों के छात्रों दी जा रही शिक्षा
कोरोना महामारी में अनाथ हुए बच्चे जो कि दसवीं या बारहवीं के बाद आगे की पढ़ाई करना चाहते हैं या कारोनाकाल में उनके घर के कमाऊ व्यक्ति माता या पिता की मृत्यु हो चुकी है, ऐसे विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया।
देश एवं प्रदेश के किसी भी फोर्स (आर्मी, पुलिस, अर्द्धसैनिक अथवा अन्य फोर्स) के बलिदान हुए उत्तराखंड के जवानों के बच्चे, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक ना हो, उन्हें पढ़ाया जा रहा है। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के आश्रित बच्चे, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक ना हो, उन्हें दाखिला दिया गया है।
लोक-कलाकर एवं लोक संस्कृति एवं साहित्य को जीवित रखने के लिए जो कलाकार निःस्वार्थ भाव से लगे हैं, अगर उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो उनके ऐसे बच्चों को संस्थान द्वारा दसवीं/ बारहवीं के बाद निश्शुल्क उच्च शिक्षा प्रदान की जा रही है। केदारनाथ व जोशीमठ आपदा प्रभावित क्षेत्रों के ऐसे बच्चे, जिनकी आपदा के कारण आर्थिक स्थिति खराब हो, को भी उच्च शिक्षा एवं रोजगारपरक शिक्षा निश्शुल्क प्रदान की जा रही है।
इन कोर्स में दाखिला लिए हुए हैं 146 जरूरमतमंद विद्यार्थी
बीएससी माइक्रोबायलाजी, बीएससी पैथलाजी, बैचलर आफ हास्पीटल एडमिनिशट्रेशन, बीबीए, बीसीए, बीएससी आइटी, बीए कानर्स, मास कम्युनिकेशन, बीकाम आर्नस, बीएचएम, डीएचएम, बीएससी पीसीएम, मास्टर आफ पब्लिक हेल्थ, मास्टर आफ होटल मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन योगा, पीजी डिप्लोमा इन फिटनेस एंड स्पोटर्स मैनजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन बिजनेस एकाउंट्स, पीजी डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन।