सत्ता के गलियारे से: पहले ही सम्मेलन का नेताजी कर गए बायकाट

विधायक जी पूर्व क्या हुए, खाली वक्त कटता ही नहीं। कार्यकर्त्ताओं से घिरे रहने की आदत जो थी। यह समस्या सभी दलों के नेताओं की है, चाहे सत्ता में हों या फिर सत्ता से बाहर। अब इसका समाधान निकल आया है। भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा के पूर्व विधायकों ने मिलकर संगठन बना लिया है। हाल में संगठन का पहला सम्मेलन विधानसभा परिसर में आयोजित हुआ। सभी को चिंता राज्य के विकास की, निरंकुश नौकरशाही की।

सम्मेलन में यह एकजुटता पूरी तरह परवान चढ़ पाती कि भाजपा के एक पूर्व विधायक राजेश शुक्ला ने यह कहते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया कि बात संगठन को गैर राजनीतिक बनाने की हुई थी, लेकिन इसे तो राजनीति का अखाड़ा बनाया जा रहा है। दरअसल, शुक्ला कांग्रेस के कुछ पूर्व विधायकों की इस टिप्पणी से खफा हो गए कि पिछले कुछ समय से राज्य की चर्चा नकारात्मक विषयों के कारण हो रही है।

कार्यसमिति के बहाने एक तीर से दो निशाने

उत्तराखंड देश के उन राज्यों में शामिल है, जहां इस वर्ष जी-20 सम्मेलन के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रम होने हैं। मुनिकी रेती व ऋषिकेश को जी-20 के एक-एक कार्यक्रम की मेजबानी का अवसर मिला है। निश्चित रूप से यह तीर्थनगरी ऋषिकेश के साथ ही राज्य के लिए गौरव का विषय है, जहां 20 देशों के प्रतिनिधि मंथन को जुटेंगे। अब राज्य में ये कार्यक्रम हो रहे हैं तो इस उपलब्धि को लेकर भाजपा का इतराना स्वाभाविक है।

केंद्रीय नेतृत्व से मिले निर्देशों के क्रम में पार्टी ने इसे भुनाना शुरू भी कर दिया है। भाजपा का प्रदेश नेतृत्व तो इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए मुनिकी रेती में ही 29 व 30 जनवरी को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक आयोजित करने जा रहा है। इससे वह एक तीर से दो निशाने साधने की तैयारी में है। कार्यसमिति की बैठक तो वहां होगी ही, इसके माध्यम से जी-20 कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार भी होगा।

प्राधिकरणों के बाद अब त्रिवेंद्र का देवस्थानम राग

उत्तराखंड में नारायण दत्त तिवारी के बाद सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत के तेवर तल्ख दिखाई दे रहे हैं। जिला विकास प्राधिकरणों के मुद्दे पर बगैर नाम लिए अपनी ही सरकार के शहरी विकास मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल पर निशाना साध डाला, यह कह कर कि कई बार जिम्मेदारियां ऐसे व्यक्ति के हाथ में होती हैं, जो इसके योग्य नहीं होता।अग्रवाल ने भी पलटवार करने में देर नहीं की। उन्होंने कहा कि जिला विकास प्राधिकरणों पर निर्णय जल्दबाजी में लिया गया। जब यह निर्णय हुआ था, तब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र थे। यह मुद्दा ठंडा भी नहीं हुआ कि त्रिवेंद्र ने फिर देवस्थानम बोर्ड का राग छेड़ दिया। त्रिवेंद्र बोले कि अगर बोर्ड होता तो उसकी आय से ही आपदा प्रभावित जोशीमठ का पुनर्निर्माण किया जा सकता था। देवस्थानम बोर्ड बनाने के निर्णय को बाद में भाजपा सरकार ने ही विरोध के कारण वापस ले लिया था।

भारत जोड़ो यात्रा में जोशीमठ आपदा की गूंज

राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा से जोशीमठ भूधंसाव आपदा को जोड़ने जा रहे हैं। यह कहना है कांग्रेस के दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का। इंटरनेट मीडिया में की गई एक पोस्ट में रावत ने लिखा, जोशीमठ आपदा के पीड़ितों के दर्द को शक्ति देने, उन्हें उदार सहायता मिल सके, पुनर्वास हो सके, नया जोशीमठ बनाया जा सके, इसे लेकर राहुल गांधी अपनी पद यात्रा के एक चरण को जोशीमठ आपदा प्रभावितों को समर्पित करेंगे।

रावत के अनुसार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने राहुल गांधी तक यह सुझाव पहुंचाया और संभवतया 24 जनवरी को जोशीमठ को समर्पित पद यात्रा होगी। अब देखने वाली बात यह कि कांग्रेस के इस कदम की राजनीति के गलियारों में क्या प्रतिक्रिया होती है। सत्तारूढ़ भाजपा, कांग्रेस पर आरोप लगाती आ रही है कि उसके नेता आपदा के नाम पर भी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *