हरियाणा सरकार ने अंबाला के पास शंभू बॉर्डर खोलने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल, हाई कोर्ट ने शंभू सीमा पर हफ्ते भर के भीतर अवरोधक हटाने को कहा गया है, जहां किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं। राज्य सरकार की ओर से दायर अपील में नाकेबंदी के लिए कानून और व्यवस्था की स्थिति का हवाला दिया गया है। साथ ही कहा गया कि मामले में जल्द सुनवाई होनी चाहिए। अब जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने इस मुद्दे पर 22 जुलाई को सुनवाई करने का फैसला लिया है।
हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवरोधक लगा दिए थे, जब संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने दिल्ली तक मार्च करने की घोषणा की थी। ये किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर आए थे। संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से बैरिकेड्स हटाने को कहा था और राजमार्ग अवरुद्ध करने के उसके अधिकार पर सवाल उठाया था।
हाईवे को कैसे बाधित कर सकता है राज्य?
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने 12 जून को कहा था, ‘कोई राज्य राजमार्ग को कैसे बाधित कर सकता है? यातायात को नियंत्रित करना उसका कर्तव्य है। हम कह रहे हैं कि इसे खोलिए लेकिन नियंत्रित कीजिए।’ वकील ने पीठ को राज्य सरकार की सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की मंशा के बारे में बताया था जिसके बाद पीठ ने यह टिप्पणी की। जस्टिस कांत ने राज्य के वकील से कहा था, ‘आप हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती क्यों देना चाहते हैं? किसान भी इस देश के नागरिक हैं। उन्हें भोजन और अच्छी चिकित्सा सुविधा दीजिए। वे आएंगे, नारे लगाएंगे और वापस चले जाएंगे। मुझे लगता है कि आप सड़क मार्ग से यात्रा नहीं करते हैं।’
किसान शुभकरण सिंह की मौत का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी, जिसमें फरवरी में प्रदर्शनकारी किसानों और हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प के दौरान किसान शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी। इसकी जांच के लिए हाई कोर्ट के एक पूर्व जस्टिस की अध्यक्षता में समिति गठित करने के पंजाब और हरियाणा एचसी के 7 मार्च के फैसले को चुनौती दी गई थी। बठिंडा निवासी 21 वर्षीय सिंह की 21 फरवरी को पंजाब-हरियाणा सीमा पर खनौरी में हुई झड़प में मौत हो गई थी और कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।
(एजेंसी इनपुट के साथ)