समुंद्रतल से लगभग 6150 फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ नगर जोशीमठ खतरे की जद में (joshimath sinking reason) है। यहां हो रहे भू धंसाव के कारणों को जांचने के लिए विभिन्न स्तर पर जांच की जा रही हैं। इसके लिए आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों की टीम प्रभावित क्षेत्रों में जाकर मिट्टी की जांच कर रही है। इसके साथ ही जमीन के अंदर की स्थिति का भी अध्ययन किया जा रहा है। बता दें कि अभी तक टीम ने 18 जनवरी से 11 जगह पर जांच कर ली है।
सुकांतो दास के नेतृत्व आईआईटी रुड़की के (joshimath sinking reason) वैज्ञानिक हर दिन विभिन्न क्षेत्रों में जाकर मिट्टी की जांच कर रही है। इसके लिए जमीन में गड्ढे बनाए जा रहे हैं। साथ ही मशीन लगाकर जमीन के अंदर की स्थिति काअध्ययन किया जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां से जो भी रिपोर्ट आएगी उसे उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी।